शुद्ध
आंवलासार गंधक, ब्रह्मदण्डी, पवार (चकौड़ा) के बीज, स्वर्णछीरी की जड़, भृंगराज का
पंचांग, नीम के पत्ते, बाबची, पीपल की छाल, इन सभी को 100 -100 ग्राम की मात्रा
में लेकर व 10 ग्राम छोटी इलायची जौ कुट कर शाम को 3 लीटर पानी में भिगो दें। सुबह
इन सभी का अर्क निकाल लें। इस अर्क की 10 ग्राम की मात्रा को सुबह खाली पेट मिश्री
के साथ सेवन करें। चर्म रोग में काफी लाभ होगा।
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